कहता है आवारा बादल

मौसम-ऐ-इश्क़ है अब यहाँ 
सावन की घटा बन के आ 
सैलाब-ऐ-अश्क़ आये इससे पहले 
बारिश की फुहार बन के आ



Comments

Popular posts from this blog

मर्यादा

प्रेम - तलाश ख़त्म

वट सावित्री