न जाने क्यों नींद न आये
इधर बीते लम्हो के दाग
उधर ख्वाहिशो की बात
इधर सपनो के बिछे लाश
उधर अनजाने से जज्बात
टिमटिमाते रात में जुगनुओ से
क्यों तू कभी आये, कभी जाए
जगी आँखों में सपनो के साये
न जाने क्यों नींद न आये
न जाने क्यों नींद न आये
उधर ख्वाहिशो की बात
इधर सपनो के बिछे लाश
उधर अनजाने से जज्बात
टिमटिमाते रात में जुगनुओ से
क्यों तू कभी आये, कभी जाए
जगी आँखों में सपनो के साये
न जाने क्यों नींद न आये
न जाने क्यों नींद न आये
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