मुझे आप किसलिए मिल गए ?

व्योम - "....रूह में फ़ासले  नहीं होते,क़ाश हम तुम मिले नहीं होते"

धरा - "लेकिन अब तो मिल  गए? अब तो ये भी पता लग गया की फ़ासले बस उतने हैं  जो या तो इंची टेप से मापे जा सकते है या फिर ये कहकर की ये ज़माने की किसी  क़ायदे वाली रिश्तों सांचे में फिट नहीं हो रहा.  क्यों? इतना ही ना ? "

व्योम - "तुम न...बड़ी जिद्दी , बड़ी मुश्किल !"

धरा - "वो तो हूँ. अब क्या करे? "

व्योम - ".... कतरा कतरा मिलती है , कतरा कतरा जीने दो.. "

धरा - "वो तो सब जीते  हैं, हम भी तुम भी..इसमें नया क्या है?"

व्योम -  "अरे हैं ना , तुम्हे पता भी  है  की ये गाना कैसे रिकॉर्ड हुआ है?  कमाल की आवाज़ तो है ही आशा भोसले की पर  दो ट्रैक पर गाना रिकॉर्ड करके एक मुकाम बनाया है बर्मन दा ने..."

धरा - "अच्छा,सुनने दो.. एकबार फिर" .. (गुलज़ार के बोल. उफ़) 

व्योम - " चलो, कुछ ढंग के गाने ही सुन लिया करो मेरी संगत में. "

अहा , जैसे मुझे पता ही नहीं था...... (कल भी ऐसा ही कुछ हुआ था.... सपने पे पाओं पड़ गया था )

व्योम - "अच्छा ? तो फिर ये सुनो. "

धरा - "रुको, न जाने हैडफ़ोन कहाँ है मेरे. लाने दो.... ये कौन सा गाना है?" ( ....कहीं अपने अपने सफर में गुम , चले जा रहे थे जुदा जुदा। .... मुझे आप किसलिए मिल गए )

मुझे आप किसलिए मिल गए ?



Comments

Popular posts from this blog

Love is

winding path

प्रेम है