माना की सफर नहीं आसान 
और मुश्किलें हैं राहों  में 
पर अभी अँधेरा इतना भी नहीं 
की वापस लौट जाएँ हम 

कहाँ बस में कभी हालात 
कहाँ बस में कभी जज्बात 
अभी उम्मीद जिन्दा है 
अभी ढलने को बाकी रात 

न रूठो तुम की 
मनाने की इज़ाज़त तक न हमको है 
न छीनो ये शुकुन 
की नाहक अब मुहब्बत है  

Comments

Popular posts from this blog

प्रेम है

Howrah Station - Early morning