तुम जो सो रहे है
तो तुमको निहारू
जी तो करता है
नींद में तुमको पुकारू

बताओ न , नाराज
हो तो न जाओगे
वादा करो न आज भी
तुम  सपनो में आओगे ?

निभाओ न सही
लेकिन होतो तसल्ली
खयालो में मेरे
रहो न यु ही तुम

क्यों बाँधी है तुमसे
ये मन की डोरी
खींचे क्यों मन को मेरे
जो ऊंघते हो तुम? 

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