गिले तुमसे नहीं थे कभी
न ही खुद से शिक़वा
किस्मतो का ही कुछ ऐसा
न था मिलना लिखा
लगा था एक पल को
की बस अब सांस ले सकेंगे
जितनी बातें बंद थी हलक़ में
तुमको खुल के कह सकेंगे
लेकिन,कहके भी सबकुछ
अबकुछ कहने से डरते हैं
पूछता है दिल हर पल
क्या हम अभी भी धड़कते हैं ?
आंखे ढूँढा करती है निशां
पाँव के तुम्हारे
हर झोंका देता है भ्रम
तुम क्या पास हो हमारे ?
न ही खुद से शिक़वा
किस्मतो का ही कुछ ऐसा
न था मिलना लिखा
लगा था एक पल को
की बस अब सांस ले सकेंगे
जितनी बातें बंद थी हलक़ में
तुमको खुल के कह सकेंगे
लेकिन,कहके भी सबकुछ
अबकुछ कहने से डरते हैं
पूछता है दिल हर पल
क्या हम अभी भी धड़कते हैं ?
आंखे ढूँढा करती है निशां
पाँव के तुम्हारे
हर झोंका देता है भ्रम
तुम क्या पास हो हमारे ?
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