खुद ही सपनो ने
फिर रंग भर लिए
नींदो के कारवां ने
सफर चुन लिए
सरफिरी कुछ
दीवानगी का असर है
एकतरफ़ा मेरा
नासमझ ये वहम है
शायद किसी दिन
मैं सपनो से जागकर
कहाँ जाऊंगी तन्हाई
से भागकर
न होंगे तुम, न होगी कोई तसल्ली
बस बारिशे
बारिशे
बारिशे
बारिशे
रात भर

Comments

Popular posts from this blog

मर्यादा

वट सावित्री

प्रेम है