दिल कहाँ छोड़े कभी
बचपन की गलियां
दिन वो अल्हड़पन के
और सखियों संग अठखेलियां
जिन्दा हैं कही वो आग
अभी उम्मीद जीने में
तभी तो है अभी भी ख्वाब
और परवाज घायल परिंदो में
बचपन की गलियां
दिन वो अल्हड़पन के
और सखियों संग अठखेलियां
जिन्दा हैं कही वो आग
अभी उम्मीद जीने में
तभी तो है अभी भी ख्वाब
और परवाज घायल परिंदो में
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