मेरी क़िस्मत, रगों में हैं

लकीरों में नहीं है कुछ
है कुछ तो जूनून दिल में
हो पागल , कोई हो रोग
मुहब्बत चीखे सीनो में

सुलगती रहे ये चिंगारी
हो इश्क खुद से, जीने में
चला जा राह जो मिल जाए
नहा अपने पसीनों में

न कोई डर नहीं सरहद
नहीं कोई पाबंदी लबो पे हैं
अब तो चाहे जो भी हो
मेरी क़िस्मत, रगों में हैं 

Comments

Popular posts from this blog

मर्यादा

प्रेम - तलाश ख़त्म

वट सावित्री