कुनमुनाता सा उठा है
दिल में पुराना कोई जोश
हाय अब अर्सो के बाद
आया है फिर से जैसे होश
सर्दियों की भोर ये और
रूह तक की कपकपी
आरज़ू की आंच में अब
लम्हात की रोटी सिंकी
बस सुक़ून थोड़ा सुक़ून
तुझको मिले मुझको मिले
खुद से फिर जी भर मिले
भूल कर शिक़वे गिले
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