मैं पंख और परवाज़ भी
बस आज उड़ जाने दो
जिस राह ये  दिल ले चला है
उनपर, आज मुड़ जाने दो

छूटता है छूट जाए
जो न मेरा था कभी
अपने लिए, अपने लिए
ख़ुदा से भी, लड़ जाने दो

मान ली हैं सारी शर्तें
एक जिद की गुंजाइश तो हो
अब नहीं दिल मानता है
अबकी  बार , अड़ जाने दो 

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