क्या तुम्हारी ख़ातिर
मैं दुनिया से लड़ जाऊंगी?
क्या तुम्हे पाने को बस
मैं दिवानी कहलाऊंगी
क्या झलक एक तेरी
मुझको पागल कर जाएगी
क्या तेरी एक आहट सुनने
ये पागल, हद कर जाएगी
क्या बस में मेरे होगा कभी
मेरा मन, जो अब तेरा है
क्या तुम मुझको खुद में पाओगे
सदियों से, जो आइना है
क्या गलत सही क्या राह बची अब
क्या कहना क्या सुनना है
अब तो बस जीने मरने में
मुझको एक दायरा चुनना है
मैं दुनिया से लड़ जाऊंगी?
क्या तुम्हे पाने को बस
मैं दिवानी कहलाऊंगी
क्या झलक एक तेरी
मुझको पागल कर जाएगी
क्या तेरी एक आहट सुनने
ये पागल, हद कर जाएगी
क्या बस में मेरे होगा कभी
मेरा मन, जो अब तेरा है
क्या तुम मुझको खुद में पाओगे
सदियों से, जो आइना है
क्या गलत सही क्या राह बची अब
क्या कहना क्या सुनना है
अब तो बस जीने मरने में
मुझको एक दायरा चुनना है
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