बहुत आंसू बहाये थे तुम, हम क्या देखे नहीं
प्रेम बहुते पढ़ाये तुम, पर हम सीखे नहीं
कितना पहर, दोपहर, छत के कोने से झांके
और जब नजर मिल गयी, हम ही टोके नहीं
जिस दिन निकल पड़े थे, सब छोड़ छाड़ के
चाहे थे पकड़ के मेरा हाथ रोक लो , रोके नहीं
तब तो रोके नहीं
प्रेम बहुते पढ़ाये तुम, पर हम सीखे नहीं
कितना पहर, दोपहर, छत के कोने से झांके
और जब नजर मिल गयी, हम ही टोके नहीं
जिस दिन निकल पड़े थे, सब छोड़ छाड़ के
चाहे थे पकड़ के मेरा हाथ रोक लो , रोके नहीं
तब तो रोके नहीं
Comments