मुहब्बत भी तो कैद है
है जिंदगी भी ज़ंज़ीर
हैं ख्वाहिशे बेड़िया
है दम घोंटता ज़मीर

शुकूं भी तुम ,जुनूं भी तुम
तुम्ही पर और परवाज़ भी
तुम दुआ तुम्ही क़हर
तुम्ही ख़ामोशी, आवाज़ भी

तुम हो भी, और नहीं भी
जो पल छुआ था, गए कहाँ?
अनकही बातें, भींगी यादें
बस ये मैं, ये मेरा जहाँ

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