आजकल तो
इश्क एक तस्वीर से होता है
और दूसरे तस्वीर से ख़तम
वो ज़माने गए की
बारिश, बादलो और चाँद में माशूक़ होता था
कम्बख़्त, मज़ाल है की जीतेजी निज़ात मिले
इश्क एक तस्वीर से होता है
और दूसरे तस्वीर से ख़तम
वो ज़माने गए की
बारिश, बादलो और चाँद में माशूक़ होता था
कम्बख़्त, मज़ाल है की जीतेजी निज़ात मिले
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