एक और
मन नहीं भरा आखिरी इन्सटॉलमेंट लिख के, इसीलिए एक और लिख रही हूँ.
आज आफिस से छुट्टी ली की सारा दिन कुछ पेंडिंग कामो को अंजाम दूंगी. लेकिन सुबह जब मॉर्निंग वाक पर गयी थी और बारिश हो गयी , वापस लौटना पड़ा. लगभग १ मील दूर थी घर से , जब बुँदे गिरनी शुरू हुयी. कुछ ऐसे ही आता है प्रेम आपके जीवन में, जब आपने इसकी बिलकुल ही प्लानिंग न की हो. दूर दूर तक अंदेशा भी न हो आपको की ये बादल कहीं हैं भी. आपने रनिंग शूज पहने होंगे, और ठान के निकले होंगे की आज कम से कम दस मील तो दौड़ना ही है , लेकिन नहीं. अफरा तफरी मच जाएगी, प्रेम बरस पड़ेगा और आप किसी पेड़ की ओट में कुछ देर छिपेंगे। लेकिन थोड़े देर बाद बांहे फैलाये, आँखे मीचे , बारिश में तर होने को भी मन बना लेंगे. या फिर, ऐसा भी हो सकता है की आप, सरपट भागना शुरू कर दे अपने घर की ओर. कुछ को बचाते, छिपते छिपाते।
लेकिन अब एक बात बताये, अब इस तरह से भाग भाग के अगर घर पहुँच भी गए तो क्या घंटा उखाड़ लेंगे? नहीं न. तो ठहरो न वही कुछ देर. देख लो कुछ बिजलियों को चमकता।
डर लगता है ?
वाजिब है लेकिन डर के आगे ही तो जीत है.
लेकिन हार जीत के चक्कर में भी क्यों पड़ना. किसी ने कहा था मुझसे एक बार "इस बारिश की बूंदो से कोमल कुछ भी नहीं" , मैंने पूछा था "सच"? कोई जवाब नहीं मिला। इसीलिए अभी भी हर बार भीगते हुए यही सोचती हूँ, महसूस करती हूँ बूंदो को और जान लेना चाहती हूँ सच. लेकिन, सच तो कुछ होता ही नहीं है.
अब जिस निशानी की बात कर रहे थे , उसपर आते है. मेजर सीक्रेट है ये प्रेम का. जब हमें ये दौरे आने शुरू होते हैं, हम किसी और के नाम की माला जापना शुरू तो करते हैं, लेकिन सच में हमें खुद से अब बेपनाह मुहब्बत का एहसास होने लगता है. हमारे ब्रेन को हॉर्मोन्स ने पूरी तरह ओवरलोड कर दिया होता है, और हम सोचते है की है बस वो मिल जाए तो मैं खुश हो जाऊं. एकबार देख लूँ तो तसल्ली हो जाए , और वो भी पलट के देख ले तो उफ़. मजा ही आ जाये , नहीं?
अब ध्यान देने वाली बात ये है की, आपको उसे "देखने" की पड़ी है या खुद को खुश करने की?
सोचिये , सोचिये। मुझे जल्दी नहीं कोई.
तो, घूम फिर के बात वही आती है की जो प्रेम का आदि या अंत , हमारे अपने अंदर निहित महसूस करने की सीमा के परे नहीं है.
किसी से भी प्रेम करना, स्वयं को उसके प्रेम के अनुरूप ढालने के लिए निखारना और बस निखरते चले जाना, असीम शांति का अनुभव अपने ह्रदय की गहराईयों में पा लेना, और बस फिर कुछ और चाहने की इच्छा ही न रखना, बस इतना ही है प्रेम.
ये मीरा जानती है , इसीलिए तो कह रही हूँ.
आप भी जान ले, तो समझ लीजिये श्याम रंग हो गए आप भी.
मैं तो प्रेम रंग बोरी
मैं तो श्याम रंग होरी।

Comments

Popular posts from this blog

प्रेम है

Howrah Station - Early morning