कहानी में ट्विस्ट

कहानी में ट्विस्ट
तो कहाँ थे हम?
हाँ, वो शुरुर वाले फेज में. बस, ये जो है न , बस यही बेस्ट टाइम है प्रेम पे पड़े रहने का. उसके आगे भी अँधेरा है और पीछे भी. गाँठ बाँध लो अभी से.
जैसे कहा मैंने लास्ट एपिसोड में, ये ऐसा टाइम है जो तुमसे कुछ भी करवा जाता है. छोटे मोटे ड्रामे से लेकर बड़े बड़े आतंक , ऐसी ताकत होती है इस नशे में की कुछ भी कर गुजरते हैं हम. जिंदगी हमेशा के लिए बदल जाए , ऐसा जूनून सर पे सवार हो जाता है.

पर , ट्विस्ट तब आता है जब हमें ये पता चलता है की ये तो बस हमारी जिंदगी है जो बदले जा रही है. हमारे साथ , न तो दुनिया बदल रही है न ही हमारा माशूक़ ?

अब क्या करें?

बड़ी मुश्किल हो गयी ये तो.

अब एक तरफ जी चाहता है की नशा कभी न उतरे , क्युकी इसमें हमने पहली बार जिंदगी को चखा है. दूसरे ओर , दिमाग थोड़ा थोड़ा कुलबुलाने सा लगा है , की सिर्फ मैं क्यों? इसीलिए ये जो है न बड़ी दुविधा वाली घडी होती है, और एक मायने में सही वाला इम्तेहान.

ज्यादातर लोग, इस टर्न पे काफी देर टहलने के बाद आखिरकार ये पता कर लेते है प्रेम है या नहीं.

असल में ये तो पता नहीं चलता की प्रेम है या नहीं, पर बंदा समझने सा लगता है की ये प्रेम कितना चलेगा। और मेरे हिसाब से, थोड़ा एडजस्टमेंट होने लगता है. दुनिया अपने सांचे फेकती है, आशिक अपने और कोई न कोई कहीं न कही फिट हो जाया करता है.
ऐसा ही होता आया है. नहीं?
अब इसमें कोई समय सीमा नहीं है. कुछ लोग इस मोड़ पे सारी उम्र भी अटके रहते हैं, आगे नहीं बढ़ पाते और काफी नाम कमा लेते है. और जो आगे बढ़ जाते है, जिनके दिमाग का जोर , दिल से कही ज्यादा होता है , वो भीड़ में गुम हो जाते हैं.
उनको शायद ही प्रेम दुबारा छू पाता है, इनफैक्ट प्रेम जो आया होता है वो भी धुँधली सी याद भर बन के रह जाता है.
क्या?
ट्रेजेडी जैसा लग रहा है ?

चिंता में हो की कहाँ फंस गए ?
अब चिंताजनक स्थिति तो है ही.
क्युकी हम इंसान है , हमें ठहरे रहना नहीं आता और सच्चा प्रेम ठहराव जानता है।
वैसा ठहराव जो हिमालय की छोटी से लगातार गिर रहे किसी निआग्रा जैसे जलप्रपात में होना चाहिए .
जबतक आप इसको विसुअलाइस करते हैं , निआग्रा और हिमालय को एक साथ लेकर आते है और इन्हे युगो युगो प्रकृति के नियमो का पालन तीब्रता और उग्रता से करता हुआ देखते हैं, मैं लूंगी एक छोटा सा ब्रेक.

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