अच्छा सा लगता है 

और जी करता है 

बस सुना करूँ 

न बोलूं न सोचूँ 

न हाँ हो, न ना हो 

झूलते रहे लम्हे 

यही कही और 

बाते तुम्हारी ख़त्म न हो 

मुलाकातें ख़त्म न हो 

लेकिन 

आज, बस इतना ही. 

Comments

Popular posts from this blog

मर्यादा

वट सावित्री

प्रेम है