मेरी उंगलियों को अभी भी तेरा अक्स याद है 

थी कभी जिससे मुहब्बत वो शख़्स याद है 

गुजरती है, गुजरेगी। तमाम उम्र बस यु ही 

तू न सही, तनहा राह की हमसफ़र याद है

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