कोई है?

 कोई है? 


झुण्ड में बैठी थी मैं 

जब तक खिलखिला रही थी 

दिल ही दिल में 

लेकिन, कबसे तिलमिला रही थी 


तड़प रही थी 

कोई मेरा सच तो पढ़ ले 

उम्मीद एक थी की 

वो मुझे अपनों में गढ़ ले 


मेरी कलम कहती है 

पढ़ने वाला कोई है ?

मेरी नजर कहती है 

सुनने वाला कोई है?


कोई है? 

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