पर क्या वो खुश है?
अरे सुना तुमने? लाड़ली का ब्याह है
क्या सुन्दर दूल्हा, क्या शानदार घरबार है
भाग्यवंती है लाड़ो
पर क्या वो खुश है?
कितने गहने, कितने कपडे लत्ते
क्या ही ठाट बाट है
सबकुछ शुभ शुभ निपट गया
ये सब किस्मत की बात है
वो सब तो ठीक, लेकिन क्या वो खुश है?
खबर आयी है, लाड़ली पेट से है
भगवन सब को ऐसी किस्मत दे
अरे बेटा हुआ है
मिठाई बांटो थाली बजवाओ
हाँ हाँ खिलाओ, लेकिन वो खुश तो है न?
अरे क्यों न होगी? करमजली
तू , हर बात पे ये सवाल क्यों कर बैठती है?
कौन नहीं होगा खुश?
अब आँखों का खालीपन है तो क्या
हम उसे शुकुन कह लेंगे
सीने में जरा डर रहता है तो क्या
हम उसे जूनून कह लेंगे
बोलना चला जरा कम कर दिया है
उसे उम्र या लिहाज कह लेंगे
अब ठहाके नहीं लगाती , तो क्या
अब शिकायते भी तो नहीं करती
हमने समझा दिया है उसको.
और तू भी चुप कर, बस लड्डू खा
हाँ , क्यों नहीं
बस ऐसे ही पूछ लिया।
मेरा भी नाम लाड़ली था न
इसीलिए.
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