नहीं नहीं अब और नहीं 

एक कदम भी और नहीं 

फिर भी साथी हम चलते हैं 

ख़्वाब इन्ही दिलो में पलते है  

बेकाबू अपने हालात सही 

टुकड़ो में ये जज़्बात सही 

राह भले तेरी अंजानी है 

मुश्किलें हैं परेशानी है 

 उठकर चलना तो होगा न? 

मिलकर बढ़ना तो होगा न? 

राह और कदम का रिश्ता है 

हर चलने वाला, फरिश्ता है 

हर चलने वाला, फरिश्ता है 


Comments

Popular posts from this blog

मर्यादा

वट सावित्री

प्रेम है