जन्म
मेरा हुआ था
सिर्फ मेरे परिवार की लक्ष्मी बिटिया का नहीं
अरमान
कुछ मेरे भी थे
मेरे पूर्वजों के अधूरे वालों के अलावा भी
ह्रदय
मेरा अपना भी था
सिर्फ मंडप पर मेरे साथ खड़े पुरुष का ही नहीं
मर्यादा
मेरी भी थी
सिर्फ यदा कदा जुड़ते गए रिश्तों के ही नहीं
लेकिन दायित्व
सपनों को स्वाहा करने ही
मर्यादाओं के उल्लंघनों की
ह्रदय के छलनी हो टूटने की
और अरमान?
उन्हें मृतक घोषित करने की
सिर्फ मेरी अकेले की
सिर्फ और सिर्फ मेरी अपनी
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