हर सुना अब
अनसुना कर
अड़ गयी
बस लड़ गयी मैं
दीवार थी
और चोट खाकर
कील जैसी
हूँ गड़ गयी मैं
न हिलूंगी
न मुड़ुँगी
हर दर्द से
आगे बढ़ गयी मैं
अनदेखा कर
सब देखते हैं
चुपचाप से अब
हर ईमारत चढ़ गयी मैं
उफ़ क़यामत कर गयी मैं
हाय क़यामत कर गयी मैं
हर सुना अब
अनसुना कर
अड़ गयी
बस लड़ गयी मैं
दीवार थी
और चोट खाकर
कील जैसी
हूँ गड़ गयी मैं
न हिलूंगी
न मुड़ुँगी
हर दर्द से
आगे बढ़ गयी मैं
अनदेखा कर
सब देखते हैं
चुपचाप से अब
हर ईमारत चढ़ गयी मैं
उफ़ क़यामत कर गयी मैं
हाय क़यामत कर गयी मैं
Comments