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Showing posts from January, 2022
 मुझे माफ़ ही कीजिये  क्युकी  इधर मुहब्बत हुयी  और उधर दिल टूटा  जो डरते रहे हम  डराते रहे वो  हारते रहे हम  हराते रहे वो  न पिघलता आग में  तो सोना निखरता कैसे? न चोट पड़ती अनगिनत  तो हीरा दमकता कैसे  न उम्र भर को टंगता  यूं ही कहीं आस्मां में  तो अँधेरी रात में रोशन  भला चाँद, चमकता कैसे  तुमने ही छूकर अब अनछुआ किया है  तो अब देखकर भी अनदेखा करेंगे  हर बात में भी जब कई सी बाते हो  होकर भी न हुयी जो मुलाकाते हो  भींगी हैं इश्क़ में मेरी गीली साँसे भी  हर सलवटों में अब तेरी ही रातें हो  अब हथेली भर को मुझे चाहत दे दो  उम्र भर   मुझे जाने की इज़ाज़त दे दो  मुहब्बत उनसे न हुयी  खुद से हो गयी  जिस्म कहीं भी जले, मुलाकात  रूह से हो गयी  किस तरह अब वो झुठलाए  हमारा सुलगना उनके सीने में  अब तो कायनात सांस लेती है  बस हमारे इश्क़ के होने में  यूँ उलझाकर के बातों में कहो कहा ले जाने का इरादा है  बस अब लौट कर न जाओ   क्या दि...

January 2022