बारिश
बारिश
आप कहेंगे तो होगी
वरना थमी रहेगी
जबतक यु ही हमारे
दिलों में ठनी रहेगी
फिर गिनेंगे आपकी वो धड़कने
रख लेंगे मानके आपका इज़हार
मेरे कानों को छूयेंगी आपकी साँसे
और नीली चादरें करेंगी ख़त्म इंतज़ार
कहो न गर्मियों से अब
पिघल के टूट जाएँ बस
कहो न बाज़ुओं में अब
बिखर के छूट जाएँ बस
बारिशें भी जलाती हैं
अब जाकर पता लगा
लेकिन, बरिशो को भी ऐसे
कोई प्यासा रखता है भला ?
वो दाग, मिट न जाएं सुनो
तुम अभी अब देर न करो
दबे पांव चले आओ
सुनो, कोई शोर न करो
पाओगे मुझे वही
जहाँ बारिशें जन्मती है
तुम्हारे होने से ही तो
तितलियाँ पनपती है
अपनी उंगलियों से
बारिशें आज़ाद कर दो न
तकल्लुफ ख़त्म ही कर दो
अब मुझे बर्वाद कर दो न
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