इश्क़ बताएं
लव शव छोड़ो
चलो तुम्हें इश्क़ बताएं
कब कैसे और कितनी
काटनी हैं सजायें
दूर रहकर भी दूर
जब रह नहीं पायें
पास आकर के जाना
जब सह नहीं पायें
हर बात बतानी हो
और पूछना भी हो
रोज मनाना भी हो
पर रूठना भी हो
सोचा करे जब तुमको
तो तुम्हारी फिक्र हो
चेहरे पे रंग आये
जब जब ज़िक्र जो
तुम्हारे होने से ही कायम हूँ
ये तो बस इश्क़ की बात है
वरना हमसे ये सब करा ले
इतनी क्या लव की औकात है ?
😆😆
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