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Showing posts from November, 2018

Forever

I hold you tight in my chest  Close to where  the heart beats  And I hold you  even closer When it misses a beat Or leaps, with joy  Or sinks deep down  With sadness  I grab your hand  And fall down in grief  And stay in that dark Till a sun rises  And I walk out again  With you, sunshine  Or lack of it I hold you tight Forever

दिवाली

क्युकी दिवाली रोज़ नहीं होती जलाकर दिए देहरी पर राह अपनों की ताके न जो कोई आये करके मिन्नत बुलाये  क्युकी दिवाली रोज़ नहीं होती चलो खुल के जी ले हो रोशन खुशियों से चेहरे न गम न अँधेरा इस घर पे ठहरे तोड़ के जंजीरे और मन के पहरे क्युकी दिवाली रोज़ नहीं होती सपनो और कल्पनाओ की रंगोली रचाओ मन का हर कोना हर आँगन सजाओ जगमगाओ और बरसो झहर महर , झहर झहर क्युकी दिवाली रोज़ नहीं होती

अनु

चलो न छत पर चले . अभी अभी तो आँगन में पैर ही रखा था की अनु ने आकर गुहार लगा दी . नानी के घर आयी हूँ , दुर्गा पूजा की छुट्टी में . अब तक तो मैं कुढ़ ही रही थी माँ से . परसो स्कूल से आयी और माँ ने बताया की हम तीन घंटे बाद निकल रहे हैं . भला कोई दुर्गा पूजा में कोलकाता से बाहर कही जाता है क्या ? इससे बड़ी बेवकूफी वाली की क्या बात होगी . लेकिन नहीं , माँ ने बोल दिया तो बस हो गया . मैंने कितना समझाया माँ को , अष्टमी में पुष्पांजलि कहाँ देंगे ? माँ , मेरे स्कूल के पास का पंडाल कितना सुंदर बनेगा , हम कैसे देखेंगे ? कहाँ घूमने जायेंगे ? दोस्तों से मिलना भी नहीं होगा . माँ , माँ। लेकिन नहीं . माँ ने सामान तैयार ही रखा था और पापा ने टिकट। तो बस , हम सब रात की सियालदह - मुगलसराय से रवाना हो गए . मेरे लिए ये सफर बड़ा कठिन होता था . ट्रैन तो ठीक , मैं बड़े आराम से कॉमिक्स पढ़ते पढ़ते निकल देती थी . लेकिन भागलपुर से दो घ...