पानीपत की तलवार

कितने बरस हो गए होंगे इस बात को? बहुत सारे.

ऑफिस के क्यूब से आवाज सुनी थी उसकी. कांफ्रेंस कॉल के बाद तुम आस पास आओगे और बात करोगे, उम्मीद तो नहीं थी. मुझसे तो तब भी न मिलने आये थे तुम. गप्पें तो तुम्हे राज से लगानी होती थी.

फिर भी, मैं ही आ गयी थी उठकर तुम्हारी बातें सुनने. वही तो है सारे फसाद की जड़. बातों का मोह. उससे ज्यादा और उससे कम , कुछ नहीं जानती मैं. खड़े हुए चुपचाप बहुत देर सुनी तो थी मोटोरोला और डिज़ाइन आर्किटेक्चर की बाते. तभी अनायास ही पूछ लिया था धरा ने.

व्योम , कहाँ से हो?

पानीपत.

पानीपत की तीसरी लड़ाई?

हाँ, पानीपत के लोग दिलों से ज्यादा हड्डियों के टूटने से जाने जाते हैं.

कहा तो ठिठोली में था, लेकिन बात कुछ और ही हो गयी. अब तो माज़रा ये है की गिनती ही नहीं रख पाती की कितने राउंड हो गए है हमारे इस लम्बे कोल्ड वॉर को. दिल तो टूटा समझ कर तसल्ली कर  लूँ या अभी भी तुम्हारे बयालीस गानो की फेहरिश्त लिस्ट को रिपीट पर छोड़ दूँ?

पल, दिन, हफ्ते, महीने और साल.... जैसे टिक टिक करते निकले जा रहे हैं और मेरी सुईयां वही की वही अटकी पड़ी हैं. घड़ी की सुई तो फिर भी दिन में दो बार मिल जाया करती है.

दोष किसी का नहीं... और है तो शायद हमारी मिट्टी का. की तुमसे पानीपत की तलवार नहीं छूटती और हमसे रसगुल्ले.

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