अंताक्षरी

अमय और श्रुति कैसे दोस्त बन गए , उन्हें भी पता नहीं चला. वैसे तो श्रुति किसी से भी ज्यादा बात नहीं करती, और लड़कों से तो बिलकुल ही नहीं। ज्यादातर अपनी दो  सहेलियों नीता और वर्णा  साथ ही उसका एक क्लास से दूसरे क्लास में जाना होता है. अमय के भी दो ही और दोस्त है , जो हर ब्रेक में कैंपस के बिछ वाले चबुतरे पर कुछ गाते या बजाते मिल जाया करते है. तो यही से शुरुआत हुयी शायद.
उस दिन केमिस्ट्री की लैब कैंसिल हो गयी थी , पूरे दो घंटे कुछ काम नहीं था किसी को. कुछ जो जोड़े में थे , कॉलेज की पास वाली पार्क की झुरमुटों का आनंद लेने निकल लिए तो कुछ ने लास्ट की इंग्लिश पीरियड को बंक करने का मन बना कर घर की ओर रुख कर लिया।  बस अमय श्रुति नीता और दीपक बच गए थे.
कुछ देर तो सब ने यूही लाइब्रेरी में समय काटा लेकिन बाहर का सुहावना मौसम देख, चबूतरे पर बैठने का मन बना लिया.

बातें तो पहले शुरू हुयी कुछ प्रोफेसर की चुगलियों से लेकिन फिर अमय ने ही शायद आईडिया दिया की, अंताक्षरी खेलते हैं.
श्रुति और नीता एकदम से तैयार हो गए. श्रुति को तो इतने गाने आते हैं की , कोई आजतक उसको इसमें हरा ही नहीं पाया है और नीता भी बहुत सुरीली है. दोनों अक्सर गर्ल कॉमन रूम में कुछ न कुछ गुनगुनाते रहते हैं. तो फिर क्या , बॉय वर्सेस गर्ल अंताक्षरी शुरू हो गयी.

आधे घंटे के बाद ही , दीपक ने हथियार डाल दिए लेकिन अमय ने तो अभी गानों का स्टॉक खोला ही था. उसने दीपक को तसल्ली दी की फ़िक्र न करो, मैं हूँ न , हम ही जीतेंगे बस तुम साथ दो मेरा गाने में.

किसी ने सोचा भी नहीं था , पर उस सितम्बर के सुहानी दोपहर में इस कॉलेज के इतिहास का एक रिकॉर्ड बनने की शुरुआत हुयी थी. एक घंटे बाद ये अंताक्षरी श्रुति और अमय  के बीच की हो गयी , एक अंतरा ख़तम  करता उसके पहले ही दूसरे का मुखड़ा शुरू हो जाता वो भी एकदम सही वाले सुरों में. देखते देखते दोनों के इर्द गिर्द पूरी क्लास जमा हो गयी. किसी को अंदाजा ही नहीं लगा की इंग्लिश की पीरियड स्टार्ट होने वाली है , एक पर एक गाने और दोनों की जमी हुयी स्पर्धा ने कॉलेज के बीचो बीच महफ़िल सी जमा दी थी.

अमय के "म से गाओ" बोलने के पहले ही गाना शुरू हो जाता और "तुम्हारा प से आएगा" तक तो श्रुति अंतरे पर होती। यु तो इनको चारो और भीड़ लगी थी पर ऐसा लग रहा था , ये दोनों शायद एक कड़ी की तरह जुड़े जा रहे हैं और आसपास कौन क्या देख सुन बोल रहा है , वो मायने ही नहीं रखता।

सबका ध्यान तब टूटा जब पीछे से मिस कृष्णन ने ताली बजायी और सबको हिदायत दी "क्लास में चलो मैं उधर ही जा रही हूँ. "

और, रिकॉर्ड ये बना की ये वाली अंताक्षरी कॉलेज के इतिहास की सबसे लम्बी चलने वाली अंताक्षरी बन गयी. नए नए गाने और कभी चबूतरे तो कभी क्लासरूम में चलता रहा ये सिलसिला लगभद ३ हफ्तों तक पर गाने रिपीट नहीं हुए न अमय और श्रुति के जेहन से मिटे, जिन्हे उन्होंने एकबार गा लिया था. ये अंताक्षरी शायद चलती ही रह जाती अगर दुर्गा पूजा की छुट्टियां न हो जाती और कॉलेज बंद न हो जाता पांच दिन के लिए.

बस पांच दिन?

लेकिन ये बात तो सिर्फ अमय और श्रुति ही बता सकते हैं, की कैसे बीते थे ये पांच दिन.



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