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Showing posts from April, 2025

Love is

 Love is The way I see you Love is  My desperate wait  Love is  How we fall apart every time Like first time, and yet be  Most put together, every time  Love is All of that, and so much more  That we are yet to discover.  That’s love. That’s you. 

winding path

 It feels too soon, Yet never enough. You feel the closest, Yet drift so far. Dimensions of life— We move, we breathe We touch, we part In echoes of time and space. These moments overlap, In body, in mind, In everything unseen, Yet deeply felt. Whatever this is, I am grateful. Grateful for you, For this, for all For the winding path That led me here.

इश्क़ बताएं

 लव शव छोड़ो  चलो तुम्हें इश्क़ बताएं  कब कैसे और कितनी  काटनी हैं सजायें   दूर रहकर भी दूर  जब रह नहीं पायें  पास आकर के जाना  जब सह नहीं पायें  हर बात बतानी हो  और पूछना भी हो  रोज मनाना भी हो  पर रूठना भी हो  सोचा करे जब तुमको  तो तुम्हारी फिक्र हो  चेहरे पे रंग आये  जब जब ज़िक्र जो  तुम्हारे होने से ही कायम हूँ   ये तो बस इश्क़ की बात है  वरना हमसे ये सब करा ले  इतनी क्या लव की औकात है ?  😆😆

आप आया करे

 आप वक़्त निकालें  और आया करे  हमसे मिलने तब  जब  सुबह हुयी भी न हो  रात बची भी न हो  लेके हौसले बुलंद  आंखे, खुली कुछ बंद  सांस ठहरी सी, मंद  आप आया करे  और, रुक जाया करे  हम परदो को गिराकर  शामें ज़ाया करे   उँगलियाँ फंसी से हो  लबों पर हंसी सी हो  ठहरी , ख़ुशी सी हो  कब?  तब.  जब जब , हम बुलाया करे  आप आया करे.  आप आया करे.

গল্প

 গল্প  এখন অনেক বাকি আছে  তুমি থেকো, বসে থাকলেই হবে  চোখে চোখ  বুকে বুক  ঠোঁটে ঠোঠ  রাখলেই হবে  শুনছো  এখন অনেক বাকি আছে  তুমি থেকো, বসে থাকলেই হবে  গল্প 

गुलाबी एक धागा

 जब जब दूर , दूर से  तुम महसूस होते हो जब जब खींचता है मन  और लगता है, सिर्फ मेरा जब जब रोकना फुसलाना  बहलाना पड़ जाता है मन को  जब जब पुरानी टीस बहाने  से उभर आती है , ज़ोर से  तब तब तब तब  कोई कड़वाहट नहीं बल्कि  सनी सी शहद में कोई हंसी  हम ढूंढ लाते है  और गुलाबी एक धागा  उंगलियों में बाँध लेते है  कसकर , ठीक वैसे  जैसे तुमने , बाँध रखा था  मुझे एकबार  तब तब  तब तब  टूटकर एकबार फिर से  मन बिखरने का , मुझको  रोक लेता है और मैं वहीँ  कही बंधी पड़ी रह जाती हूँ  जब जब , तब तब

बारिश

 बारिश  आप कहेंगे तो होगी  वरना थमी रहेगी  जबतक यु ही हमारे  दिलों में ठनी रहेगी  फिर गिनेंगे आपकी वो धड़कने  रख लेंगे मानके आपका इज़हार  मेरे कानों को  छूयेंगी आपकी  साँसे और नीली चादरें करेंगी ख़त्म इंतज़ार   कहो न गर्मियों से अब  पिघल के टूट जाएँ बस  कहो न बाज़ुओं में अब  बिखर के छूट जाएँ बस  बारिशें भी जलाती हैं  अब जाकर पता लगा  लेकिन, बरिशो को भी ऐसे   कोई प्यासा रखता है भला ? वो दाग, मिट न जाएं सुनो  तुम अभी अब देर न करो  दबे पांव चले आओ  सुनो, कोई शोर न करो  पाओगे मुझे वही  जहाँ बारिशें जन्मती है  तुम्हारे होने से ही तो  तितलियाँ पनपती है  अपनी उंगलियों से  बारिशें आज़ाद कर दो न  तकल्लुफ ख़त्म ही कर दो  अब मुझे बर्वाद कर दो न