Posts

Showing posts from March, 2011

बसंत

होली आयी ले उपहार बसंत का प्रेम भाव और साथ संग का उस बसंत से इस बसंत तक मिला सौगात अनूठे अनुभवों का इसी बात पर आज यहाँ पर चलो उडाओ रंग गुलाल पीछे छोड़कर कडवी खट्टी मिले भुलाकर मन के मलाल मेरा पागल मन, कब सुनता है की किस दिन और किस ऋतू में होली है बंधुजनो के मुस्कान में अपनी तो बस रोज़ ही होली है

तेरी-मेरी होली

आनंदित मन , पुलकित शरीर रंगों का दिन, हुआ मन अधीर आये करीब होली की बेला नाचे मन मयूर मेरा अलबेला होंगे अनुष्ठान और क्या व्यंजन उत्सव ही उत्सव , न कोई बंधन किया साल भर जो इंतज़ार आया बसंत फिर कर श्रृंगार उमड़ा ह्रदय में जो है दुलार रंग देंगे मिल के हम ये संसार क्या नीली और क्या पिली ये है तेरी-मेरी होली

एक रंग

मैं तो रंगी बस एक रंग साजन रंग चढ़े न दूजे चाहे डारो कितने , रंग बिरंगे प्रीत का रंग न छूटे बिन तेरे मेरा मन अँधियारा न कोई दीपक, करे उजियारा कैसी होली कैसी दिवाली मेरी जीवन मेरा जैसे दिशा हारा हरपाल लगी बस आश दरश की यादे ह्रदय में लाखो बरष की एक होली में ऐसी रंगी में कोई भी होली फिर ना खेली मैं

होली

होली बस त्यौहार नहीं पूरे जीवन का सार है ये ये नीले पीले रंग नहीं खुशियों का आधार है ये रंग कर चेहरे एक दूजे के सब इक रंग में रंग जाते है बाँट गिले शिकवे और खुशिया तो ही हम इंसान कहाते है हम भी तो रंगों जैसे है दिखने से सबसे अलग अलग पर हिस्से है इक परिवार के होली के दिन सब मस्त मलंग मिल कर अबकी होली में फिर से हुडदंग मचाएंगे कौन छोटा और कौन बड़ा, सब एक रंग में रंग जायेंगे