आज वापस करने हो आये हो तो, क्या यु ही ले लुंगी देखना परखना पड़ेगा, सबकुछ वैसे का वैसे है या नहीं? दिल दिया था तो साथ में जज़्बात भी तो दिए थे उनको भी थोड़ी बहुत कीमत है की नहीं? खरोच इधर उधर के, चलो जाने भी दो लेकिन मेरे अरमानो , सपनो और उम्मीदों का कुछ तो हिसाब करो दिए थे मैंने हरे-भरे, मुरझाया सा लौटाते हो? ले जाओ मुझेको नहीं चाहिए, किसको मुर्ख बनाते हो? मुंह फेर पटक कर सब मीट्टी में तुम, छुडा चल दिए हो दामन सारी उम्र कटेगी मेरी, सिचेंगे इनको फिर से नयनो के सावन
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Showing posts from September, 2013
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मै क्या कोयी , सडा अन्ग था तेरा जो यु तुमने , काट फ़ेका मुझे है न आवाज देते हो, ना गुहार सुनते हो थक नैन दीपक, अब मेरे बुझे है जिन्दगि हसती है मुझ्पर, मौत परिहास करती शर्मिन्दा मै खुदसे, क्यु फ़िर भी तेरी बाट तकती बाटने मे तुझको , है तकलीफ़ मुझको तुकडो मे खुद ही जिसका है, बिखरा वजूद उसी हाथ से तुकडे इस दिल के समेटु जिनको ख्वहिश कभी थी, तुम करोगे कबूल
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मानोगे तुम, जब ये जानोगे तुम लेहेकती है बाती, बस तब दिये को फ़ून्क से जब अन्जाने इसको, बुझाते हो तुम बुझते हि इस दिल के, होगा घुप अन्धेरा रोशनी ्हमारे प्यार कि , सदा को खो जाओगे तुम गिरोगे, उठोगे , फ़िस्लोगे , सम्ह्लोगे उन्ग्लियो से दामन मेरा टटोलोगे तुम खुश्बू सी शायद तुम्को ,मेह्सूस हो भी जाये रन्ग प्यार का रत्ती भर नादेख पाओगे तुम