बस मेरे सपने
सपने देखते हैं हम कहते है ज़रूरी है क्यूकी अगर सपने ना हो तो चाहेंगे क्या हम और कोई कहेता है की बस करो अब सपनो मे जीना आओ और अपनाओ-सच्चाई जिंदगी की मानता नही म न फिर भी मान भी ले जो हम और सपने ना देखे तो फिर क्या करे ह म जिए और जिए और यू ही जिए जाएँ हम और सपने ना देखे-खोल कर पानी आखें ना कोशिश करे चाहते पाने की कोई भी ऐसे खुशी जो पहुँच मे नही है जो भी हैं चाहत अपनी ह दो मे मिल जाएँगी मुझको फिर क्या करूँगी? सपने मेरे सपने मुझको तुमसे भी प्यारे छोड़ भी दू जो तुमको ना चूटेंगे ये मुझसे आख़िर तुम तो नही हो हैं पास मेरे - बस मेरे सपने और वो उम्मीदे